कभी-कभी वक्त और हालात दिलो-दिमाग में एक अजीब सी थकान पैदा कर देते हैं। एक ऐसी थकान जो बिना कुछ किए भी हर वक्त हावी रहती है। उस थकान से पीछा कैसे छुड़ाएं? कैसे फिर से वही ऊर्जा पाएं, जो सपनों को पूरा करने की ओर ले चले? कैसे जिंदगी ... Read More
04
Dec2018
कविता की सैर करते-करते कभी आप शायरी और ग़जल की गलियों से गुज़रे हैं! अगर हां, तो आप जानते होंगे कि वहां सिर्फ दिल का दर्द ही बयां नहीं होता...तबियत को सुकून देने वाले लफ्ज भी कई हैं। अगर नहीं गुज़रे हैं, तो आज हम आपको उन गलियों में ... Read More
December 4, 2018Mannat
22
Aug2017
जिंदा रहने की कोई रेसिपी नहीं होती. न ही कोई ऐसी दवाई होती है, जो हमारी चलती हुई सांसों में जीवन की लहर को दौड़ा सके. हां, मगर एक चीज है, जो जीवन का संबल देती है. हर मुश्किल में, हर हताशा में, हर निराशा में. वो चीज हैं हमारे ... Read More
August 22, 2017Mannat
08
Aug2017
हम कुछ पाने की कोशिशों में कभी-कभी खुद को इतना हलकान कर लेते हैं कि फिर लगता है अब कुछ हो ही नहीं सकता। एक अजीब सी थकान हमें अपना मरीज बना लेती है। हम अपने ही हाथ को हिलाकर अपनी ही भूख को मिटाने के लिए निवाले को मुंह ... Read More
August 8, 2017Mannat
01
Aug2017
कोशिशों से हारकर जब हम रुक जाना चाहते हैं...तो एक अजीब सी मायूसी महसूस होने लगती है। एक ऐसी थकान हमें घेर लेती है, जो रुकने पर मजबूर भी करती है और रुक जाने के पछतावे से भी भर देती है। मगर इस सबके बीच रुक जाना एक ... Read More
August 1, 2017Mannat
25
Jul2017
कुछ कविताएं चोट करते हुए घाव भरती हैं। सुनने में अटपटा लगता है, लेकिन सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताओं की यही खासियत है। यह अटपटापन पूरी कविता पढ़ने के बाद गायब हो जाता है। हासिल होती है, तो एक गहरी सोच, जो हमें फिर से उठने, चलने और मंजिल ... Read More
July 25, 2017Mannat
18
Jul2017
जैसे एक-एक शब्द आपस में गूंथा हुआ हो। जैसे पहले शब्द के बिना दूसरा शब्द अधूराहो। जैसे भाषा दिल के भीतर दाखिल हो चुकी हो। जैसे बिना जुबान के कोई हमारे ही दिल की बात कह रहा हो। ऐसी ही शायरी के लिए जाने जाते हैं हफीज जालंधरी।
इतना तो ... Read More
July 18, 2017Mannat