जब कैंसर से जंग लड़ रहे थे इरफान खान, इस कविता से मिला था हौसला

सिनेमा की दुनिया का एक चमकता सितारा आज डूब गया। जाने-माने अभिनेता इरफान खान का बुधवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। वह कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे और दो दिन पहले उन्हें पेट में इंफेक्शन की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इरफान खान के जाने के बाद उनसे जुड़े कई किस्से चर्चा में हैं। एक किस्सा कविता का भी है। कैंसर का इलाज कराने जब इरफान लंदन गए थे, तब उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक कविता पोस्ट की थी। ये कविता थी ऑस्ट्रियाई कवि रैनर मारिया रिल्के की, जिन्हें आमतौर पर सिर्फ रिल्के नाम से जाना जाता है।
कविता कुछ इस तरह थी-
God speaks to each of us
as he makes us,
then walks with us silently out of the night.
These are the words we dimly hear:
You, sent out beyond your recall,
go to the limits of your longing.Embody me.
Flare up like a flameand make big shadows I can move in.
Let everything happen to you: beauty and terror.
Just keep going. No feeling is final.
Don’t let yourself lose me.
Nearby is the country they call life.
You will know it by its seriousness.
Give me your hand
A post shared by Irrfan (@irrfan) on Mar 19, 2018 at 1:27pm PDT
कविताओं की शायद यही ताकत है कि वो तब सुकून देती हैं, जब आपके पास कोई नहीं होता। कोई अपना नहीं और कोई उम्मीद नहीं। इरफान खान इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी शेयर की गई ये कविता है और इसके पीछे छिपा संदेश भी कि हमें हर हाल में चलते जाना है और हिम्मत हारकर कभी रुकना नहीं है।
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